Monday, June 7, 2010

अर्थी ऊठ गयी न्याय की

भोपाल में २५ वर्ष पहले विश्व की सबसे बड़ी औधोगिक त्रासदी हुई । भोपाल गैस काण्ड के आरोपी तत्कालीन अद्दयक्ष केशव महेंद्र सहित सात लोगों को दो वर्ष के कारावास की सजा सुने गयी । क्या हजारों लोगों की हत्या का दंड केवल दो साल का कारावास ।जो लोग मृत्यु दंड पाने के लायक थे उन्हें केवल दो वर्ष का कारावास ये कैसा क्रूर मजाक है उन लोगों के साथ जिनके न केवल परिवार के लोग मरे गए बल्कि उनकी आने वाली पीढियां भी इस श्राप को भुगत रही हैं। वहीँ दूसरी तरफ दोषी कंपनी के प्रमुख अभियुक्त जो २५ वर्षो से फरार है को सीबीआई और सर्कार आज तक पकड़ नहीं पाई है।यह कैसा घिनोना मजाक है पीड़ित परिवारों के साथ । ये बिलकुल उनके ज़ख्मो को कुरेदकर फिर से हरा करने जैसा है ।क्या न्यायपालिका और सर्कार केवल पीडितो का मजाक उडाने के लिए है।
क्या दोनों ही संस्था अमीरों की जेब में हैं । क्या कानून मंत्री वीरप्पा मोइली का अफ़सोस करना ही पर्याप्त है ।
इतना करके सर्कार अपनी नैतिक जिम्मेवारी से मुह मोड़ सकती है।में आज आम आदमी होने के नाते सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछना चाहता हूँ कहाँ है कांग्रेस का हाथ गरीबो के साथ ।उनका एक हाथ तो गरीबो के गले पर है और दूसरा गरीबो की लाशो से कमाय गए नोटों से अपनी जेब भरने में लगा है .अपनों का दर्द क्या होता है ये वो विदेशी सोनिया नहीं जान सकती क्योंकि किसी का दर्द जानने के लिए पहले किसी से दिल से जुड़ना पड़ता है पर उनका दिल तो इटली में हैं। क्या देश के लोगों को अब भी इनका असली चेहरा नहीं दीखता।

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